इस्लाम से पहले अरब में लोग प्राकृतिक देवी-देवताओं की मूर्ति बनाकर पूजा करते थे। जबकि इस्लाम इसके उलट है। वह निराकार अल्लाह में विश्वास करता है। एक हदीस के मुताबिक हजरत मोहम्मद सल्ललाहो अलैही वसल्लम ने कहा था कि उन प्राकृतिक देवी-देवताओं के विपरीत करो। चूंकि वह बड़ी मूंछें रखते थे और दाढ़ी साफ करा देते थे। इसलिए मुस्लिम इसके विपरीत करने लगे और मूंछें कटाने लगे।
वहीं, एक अन्य मत है कि मुस्लिमों में मूंछें कटाकर रखना अरब संस्कृति का हिस्सा है। चूंकि वहां अक्सर रेतीली हवाएं चलती रहती हैं। यही कारण है कि रेत के कण लोगों की मूंछों में फंस जाते थे। खाना खाते वक्त वे उनके मुंह में चले जाते थे। इस वजह से वे अपनी मूंछें छोटी कराने या उन्हें कटाने का रिवाज शुरू हो गया।
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