कांग्रेस के बागी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को पार्टी को अलविदा कहकर अपनी दादी विजयाराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया के आक्रामक तेवरों की याद दिला दी। ज्योतिरादित्य दो बुआ यशोधरा राजे और वसुंधरा राजे भाजपा में पहले से हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश के गठन के बाद की सिंधिया राजघराने की तीसरी पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं। उनसे पहले की दो पीढ़ियों, जिसमें विजयाराजे सिंधिया हैं और पिता माधवराव सिंधिया, जिन्होंने अपने राजनीतिक सफर में कांग्रेस को न केवल मुसीबत में डाला, बल्कि उसके लिए सत्ता की राह भी कठिन कर दी, अब ज्योतिरादित्य भी उसी राह पर चलते नजर आ रहे हैं।
सिंधिया राजघराने के सियासी सफर और उनके बगावती तेवरों का जिक्र करें तो एक बात साफ हो जाती है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। वह गुना लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं, मगर उनका कांग्रेस से नाता महज 10 साल ही रह पाया।
सन् 1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत हासिल हुआ था, और डी.पी. मिश्रा मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन बाद में कांग्रेस के 36 विधायकों ने विजयाराजे के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर की और विपक्ष से जा मिले। डी.पी. मिश्रा को इस्तीफा देना पड़ा था। अब एक बार फिर वही पटकथा लिखी गई है। ज्योतिरादित्य खेमे के 20 कांग्रेसी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा स्वीकार होते ही कमल नाथ सरकार विधानसभा में अल्पमत में आ जाएगी। ऐसे में भाजपा कमल नाथ सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी और कमल नाथ सरकार गिर सकती है।
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