आमतौर पर शिमला मिर्च का वजन अधिकतम 190 ग्राम तक मिल रहा है। नई प्रजाति की एक मिर्च लगभग 300 ग्राम की है। वजन और भी बढ़ सकता है। सब्जी विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. डीपी सिंह और वैज्ञानिक डॉ. राजीव के मुताबिक शिमला मिर्च की यह प्रजाति पहाड़ों पर पैदा होती है मगर पॉलीहाउस तकनीक से इसका बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है। फल गूदेदार, मोटा, घण्टीनुमा होत है जिसमें उभार कम है। तीखापन भी सामान्य की अपेक्षा कम या नहीं के बराबर है। किसानों को इसका डेमो दिखाया जाएगा ताकि उन्हें इसका लाभ मिल सके।
इस शिमला मिर्च में पोषक तत्वों को बढ़ाने के लिए जैविक खनिज तत्वों का छिड़काव किया गया है ताकि बोरान, आयरन और जिंक की मात्रा फल में बढ़ाई जा सके। दो क्यारियों में इसे लगाया गया है जबकि आमतौर पर यह फसल तीन क्यारियों में लगाई जाती है।
शिमला मिर्च के बीजों की बुआई करने से पूर्व जैविक ट्रीटमेंट दिया गया है। डॉ. राजीव के मुताबिक अभी यह जांच नहीं की गई है कि सामान्य की अपेक्षा खनिज तत्वों की मात्रा इसमें कितनी बढ़ी है। मगर यह तय है कि समान्य की अपेक्षा अधिक है। इससे शिमला मिर्च के रखरखाव में भी आसानी होगी। लम्बे समय तक यह खराब नहीं होगी।
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