Thursday, 26 August 2021

काबुल एयरपोर्ट पर हुए सीरियल ब्लास्ट को ISIS-K ने दिया अंजाम, जानिए इस आतंकी संगठन के राज!

 
काबुल एयरपोर्ट पर हुए आतंकी हमले से पूरी दुनिया सन्न है। इस हमले में कम से कम 73 लोगों के मारे जाने की खबर है। इनमें 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल हैं। आतंकी समूह ISIS-K ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। ऐसे में ये जान लेना जरूरी है कि आखिर ये ISIS K क्या है जिसने देखते ही देखते काबुल को दहला दिया। दरअसल ISIS-K के नाम से जाना जाने वाला समूह लंबे समय से अमेरिकी सैनिकों और अन्य लोगों पर हमले की योजना बना रहा था। यही कारण है कि राष्ट्रपति बिडेन ने कहा था कि वह अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी की अवधि को सीमित करना चाहते हैं।

सीरिया जैसे देशों को तबाह करने वाला ISIS अब काबुल में है वो भी ISIS-K के नाम से यानी इस्लामिक स्टेट खोरासान। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने पहले ही इस बात का खुलासा कर दिया था कि जिस तरह एयरपोर्ट पर लाखों लोगों की भीड़ जुटी है और जिस तरह से अफरा-तफरी मची है, ISIS-K उसी का फायदा उठाने की कोशिश में जुटा है।


इस्लामिक स्टेट खुरासान का गठन 2014 के अंत में हुआ था और यह अफगानिस्तान और पाकिस्तान में ISIS से जुड़कर काम करता है। खुरासान उस क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक शब्द है जिसमें वर्तमान अफगानिस्तान और मध्य पूर्व और मध्य एशिया के कुछ हिस्से शामिल हैं। समूह को ISIS-K या IS-K के नाम से भी जाना जाता है।
इसके संस्थापक सदस्यों में वे आतंकवादी शामिल थे जिन्होंने अफगान तालिबान और पाकिस्तानी तालिबान दोनों को छोड़ दिया था। साल 2015 में एक वीडियो आया था जिसमे उस समय समूह के नेता, हाफिज सईद खान और अन्य शीर्ष कमांडरों ने इस्लामिक स्टेट के तत्कालीन नेता अबू बक्र अल-बगदादी के प्रति अपनी निष्ठा का वचन दिया था, और खुद को अफगानिस्तान में एक नए आईएसआईएस क्षेत्र का प्रशासक घोषित किया था।


खबरों की मानें तो ISIS-K कतई नहीं चाहता कि एक भी अमेरिकी नागरिक या सैनिक सही सलामत अफगानिस्तान से निकले । लिहाजा बगदादी के खूंखार आतंकी काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमला करने की फिराक में थे ताकि खून-खराबा किया जा सके और सुपरपावर अमेरिका से बगदादी की मौत का बदला लिया जा सके।

बगदादी की मौत के बाद ये आशंका जताई जाने लगी कि अब ISIS का खात्मा हो चुका है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बगदादी की मौत के बाद ISIS की स्लीपर सेल लगातार एक्टिव रही और उसने खूंखार आतंकी संगठन को अफगानिस्तान शिफ्ट कर दिया ताकि अमेरिका को सबक सिखा सके। इसी बीच तालिबान के सत्ता में आते ही ISIS-K ने काबुल को अपना हेडक्वॉटर बनाया और अपना बदला लेने के लिए योजना बनाने लगा।


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