यद्यपि अधिकांश पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की आर्थिक स्थिति अच्छी है, लेकिन फिर भी लोगों के मन में अपने रुपये को लेकर चिंता लगी रहती है। पिछली एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में खाताधारकों को इसके लिए बड़ी राहत दी है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में बैंक के फेल होने की स्थिति में जमाकर्ताओं के लिए इंश्योरेंस राशि को बढ़ाने का ऐलान किया था।
भारत सरकार की अप्रूवल मिलने पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्रति जमाकर्ता इंश्योरेंस कवर की राशि को बढ़ाकर पांच लाख कर दिया है, जो पहले एक लाख रुपये थी। अब बैंक के फेल होने की स्थिति में पांच लाख तक की ग्राहक की जमा राशि इंश्योर्ड होगी और जमाकर्ता को वापस की जाएगी।
इंश्योरेंस कवर के लिए यह बढ़ी हुई राशि वाली सीमा चार फरवरी से प्रभावी हो गयी है। यहां बता दें कि डिपॉजिट इंश्योरेंस की इस योजना की पेशकश डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन द्वारा की जाती है। यह भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी है। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन इस इंश्योरेंस कवर के लिए बैंक के जमाकर्ता से सीधे तौर पर कोई प्रीमियम राशि नहीं लेता है, लेकिन बैंकों को इस इंश्योरेंस कवर के लिए प्रीमियम का भुगतान करना होता है।
इस इंश्योरेंस कवर योजना में सभी तरह के बैंक डिपॉजिट्स जैसे सेविंग्स, एफडी जमा, आवर्ती जमा आदि कवर होती हैं। योजना में मूलधन और ब्याज राशि को मिलाकर कुल पांच लाख तक की रकम कवर होती है। यह डिपॉजिट गारंटी तब ही लागू होती है, जब बैंक बंद हो जाता है। योजना के अंतर्गत फेल हुए किसी विशेष बैंक की सभी शाखाओं में जमाकर्ता द्वारा दर्शायी गई सभी जमाओं का संयोजन किया जाता है। अर्थात किसी व्यक्ति ने एक बैंक की विभिन्न शाखाओं में पैसा जमा कराया है तो उसे बैंक फेल होने पर इंश्योरेंस कवर के तहत अधिकतम पांच लाख रुपये तक का भुगतान होगा। वहीं, अलग-अलग बैंकों में जमा की गई राशि का संयोजन नहीं किया जाएगा।
from Rochak Post https://ift.tt/388kBJA
No comments:
Post a Comment