भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था ऐसी मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोहिनी एकादशी को काफी प्रभावशाली माना गया है और कहा जाता है कि इस व्रत को करने वाला व्यक्ति जीवन में सभी तरह के दुखों से दूर रहता है तथा उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।
विष्णु जी ने क्यों धारण किया मोहिनी रूप:
समुद्र मंथन के पश्चात् जब अमृत से भरा हुआ घड़ा निकला तब राक्षस उसे पाने के लिए देवताओं से युद्ध करने लगे। राक्षसों द्वारा अमृत का सेवन कर लिया जाता तो वे मनुष्यों के साथ साथ देवताओं के बीच अपना आतंक मचाने में कामयाब हो जाते। देवगण इस भयंकर विपत्ति से बचने के लिए भगवान विष्णु के पास सहायता के लिए पहुंचे।
विष्णु जी ने मोहिनी नाम की अप्सरा का रूप धारण किया। उनकी वो मनमोहक छवि देखकर राक्षस ही नहीं देवता भी उनपर मोहित हो उठे थे। अपने इस रूप से राक्षसों को रिझाते हुए भगवान विष्णु ने छल से अमृत कलश असुरों से हासिल कर लिया और समस्त देवतागण को एक बड़ी विपदा से बचाया। विष्णु जी के मोहिनी रूप के कारण अमृत पाने के इस युद्ध में देवताओं की विजय हुई।
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