Thursday 17 December 2020

केंद्र सरकार के अनुसार अगले दो सालों में खत्‍म हो जाएंगे टोल प्‍लाजा, तो फिर कैसे होगी वसूली


नेशनल हाइवे यानी राष्ट्रीय राजमार्गों पर रोड टैक्स वसूलने के लिए स्थापित किए गए टोल नाकों की वजह से अक्सर जाम की समस्या होती है। एनएच से गुजरते समय आपने भी जाम की समस्या झेली होगी। इस समस्या के समाधान के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने जीपीएस आधारित तकनीक विकसित की है।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने देश भर में वाहनों के निर्बाध आवागमन के लिए टोल टैक्स संग्रहण के लिए जीपीएस यानी ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम लागू किए जाने की योजना को अंतिम रूप दे दिया है। उन्होंने कहा कि अगले दो सालों में देश के सभी एनएच यानी राजमार्गों को टोल बूथ मुक्त बना दिया जाएगा।

एसोचैम के स्थापना सप्ताह कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए ‘राष्ट्रीय बुनियादी पाइपलाइन’ पर अपनी बात रखते हुए कहा कि टोल के लिए वसूला जाने वाला शुल्क वाहनों के परिचालन के आधार पर सीधे बैंक खातों से लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब सभी वाणिज्यिक वाहनों में पहले से ही वाहन ट्रैकिंग प्रणाली लग कर आ रही है। वहीं पुराने वाहनों में भी जीपीएस सिस्टम लगाए जाने के लिए सरकार जल्द ही कोई योजना लेकर आएगी।

केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई है कि अगले वर्ष मार्च तक टोल संग्रहण 34,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि टोल संग्रहण के लिए जीपीएस तकनीक के इस्तेमाल से देश का राजस्व भी बढ़ेगा। अगले 5 वर्षों में टोल से होने वाली आय बढ़ते हुए 1,34,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।


बता दें कि एनएच पर जाम न लगे, इसके लिए वाहनों के स्वतंत्र आवागमन की दिशा में महत्वपूर्ण पहल करते हुए केंद्र सरकार ने देश के सभी टोल प्लाजा पर फास्टैग अनिवार्य कर दिया है। फास्टैग की अनिवार्यता के बाद एक तरफ जहां ईंधन की खपत में कमी आई है तो दूसरी ओर वायु प्रदूषण कम करने में भी इसकी भूमिका रही है।

पिछले कुछ महीनों के दौरान फास्ट टैग का उपयोग काफी तेजी के साथ बढ़ा है। नवंबर में जारी किए गए एनएचएआई के एक बयान के अनुसार, अबतक के कुल टोल कलेक्शन में फास्टैग का लगभग तीन-चौथाई का योगदान है। आने वाले सालों में स्थिति और सुधरने की उम्मीद है।


केंद्रीय मंत्री ने कहा कि औद्योगिक विकास भारत में गरीबी उन्मूलन और रोजगार सृजन की कुंजी है। हालांकि इस समय भारत में उद्योग शहरी क्षेत्रों में केंद्रीकृत हैं, जिसके विकेन्द्रीकरण की आवश्यकता है। बढ़ते शहरीकरण के चलते दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और अन्य शहरों के समक्ष जैसी चुनौतियां बाकी शहरों में भी पैदा होंगी। उन्होंने कहा कि बुनियादी विकास में सरकारी-निजी भागीदारी के मॉडल को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है।

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